इन्फोपत्रिका. गेहूं की खेती : भरपूर उपज के लिए फसल का कीटमुक्त, सूत्रकृमिमुक्त और रोगमुक्त होना अत्यंत आवश्यक है.. बीमारियां बीजजनति भी होती है और भूमिजनित भी. बीजजनित बीमारियों को रोकने का एक तरीका है बीज का उपचार (wheat seed treatment) करना. बहुत सी भूमिजनित बीमारियों को भी बीज उपचार करके रोका जा सकता है. कुछ बीमारियां तो होती ही ऐसी हैं कि उनका इलाज ही केवल बुआई से पहले बीज उपचार करके ही किया जा सकता है. उसके बाद नहीं.
गेहूं में भी कई तरह की बीमारियां (wheat diseasea) लगती हैं. इनमें शामिल हैं दीमक, सूत्रकृमि (nematode) और फंगसजनित बीमारियां. फंगसजनित बीमारियों में शामिल हैं लूज स्मट (Loose smut of wheat) यानि अनावृत कंड रोग, करनाल बंट (karnal bunt of wheat) और फ्लैग स्मट रोग (flag smut of wheat). गेहूं में इन बीमारियों को आने से रोकने के उपाय के बारे में हमने बात की डॉक्टर जयकुमार भोरिया से . डॉक्टर जयकुमार हरियाणा कृषि विभाग में कृषि विकास अधिकारी हैं.
बहुत जरूरी है बीजोपचार Seed treatment of wheat
डॉक्टर जयकुमार ने इन्फोपत्रिका डॉट इन को बताया कि रोगरहित गेहूं की भरपूर फसल लेने के लिए गेहूं के बीज का उपचार अच्छे तरीके से करना बहुत जरूरी है. किसानों को अपने खेतों में आने वाले रोगों के अनुसार ही दवाओं का प्रयोग बीजोपचार के लिए करना चाहिए. दवा की मात्रा विशेषज्ञ द्वारा बताई गई मात्रा से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. गेहूं की खेती में बीजोपचार को नजरअंदाज बिल्कुल नहीं करना चाहिए.
इन दवाओं से करें उपचार
दीमक से बचाव हेतू : सबसे पहले दीमक से बचाव के लिए बीज उपचार करें. गेहूं को दीमक से बचाने के लिए 40 किलोग्राम बीज उपचार करने के लिए 60 ग्राम क्लोरोपेयरिफॉस (chlorpyriphos) दवा का प्रयोग करें. 60 ग्राम दवा में लगभग 1 लीटर (940 एमएल) पानी मिलाएं. बीज को पक्की जगह या प्लास्टिक सीट पर फैलाकर उस पर दवा मिले पानी का छिड़काव करें. फिर बीज को अच्छे से मिलाएं ताकि दवा पूरी तरह सभी बीजों पर लग जाए. अब इसे करीब एक घंटे तक सूखने के लिए छोड़ दें.
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फंफूदीजनक बीमारियों से बचाव हेतू : दीमक की दवा लगाने के बाद बीजजनित बीमारियों जैसे लूज स्मट यानि अनावृत कंड रोग, करनाल बंट और फ्लैग स्मट आदि बीमारियों से बचाने के लिए आप वीटावैक्स या रैक्सिल में से किसी एक दवा का प्रयोग कर सकते हैं. वीटावैक्स 2 ग्राम दवा एक किलोग्राम बीज हेतू प्रयोग करें और रैक्सिल 1 ग्राम दवा 1 किलोग्राम बीज के लिए काफी होती है.
डॉक्टर जय कुमार ने बताया जिस बीज पर किसान भाईयों ने क्लोरोपेयरिफॉस लगाकर सुखाया था उस पर वे वीटावैक्स या रैक्सिल लगा सकते हैं. वीटावैक्स या रैक्सिल पाउडर फार्म में आती हैं. इसलिए इनसे बीज का सूखा उपचार होगा. बीज को फैलाकर उस पर वीटावैक्स या रैक्सिल छिड़क दें. उलट-पलट कर या हाथों से मसलकर दवा को सभी बीजों पर लगा दें.
सूत्रकृमि (nematode) से बचाव हेतू : डॉक्टर जयकुमार ने बताया कि गेहूं की फसल को निमोटेड से बचाने में एचटी 54 टीका बहुत कारगर है. इसलिए जिन खेतों में निमोटेड आता है, वहां गेहूं बुआई के लिए प्रयोग होने वाले बीज का उपचार एचटी 54 से करना चाहिए. इसके साथ पीएसबी टीके (फॉस्फेटिक सोल्यूबल बैक्टिरिया) का भी प्रयोग करना चाहिए.
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एचटी 54 टीके का प्रयोग क्लोरोपेयरिफॉस, वीटावैक्स और रैक्सिल के साथ किया जा सकता है. जिस बीज पर हमने पहले क्लोरोपेयरिफॉस लगाकर बाद में वीटावैकस या रैक्सिल से सूखा उपचार किया है उस पर एचटी 54 और पीएसबी टीका लगाने के लिए गुड़ का प्रयोग करना होगा. 40 किलोग्राम बीज के लिए 4 टीके एचटी 54 के लें. 4 टीके ही पीएसबी के लें. एक टीका 50 ग्राम का होता है. अब 600 एमएल पानी में 50 गुड़ मिला लें. गुड़ मिलाने के बाद इसमें एचटी 54 और पीएसबी (फॉस्फेटिक सोल्यूबल बैक्टिरिया) के टीके मिला दें.
यह घोल 40 किलो बीज पर छिड़कें और अच्छे से बीज पर लगा दें. फिर बीज को छाया में सूखा दें. सूखने के बाद बुआई करें. एचटी 54 टीका गेहूं को निमोटेड से तो बचाएगा ही साथ ही यह पर्यावरण में मौजूद नाइट्रोजन को नाइट्रेट में बदलने में भी सहायक है. नाइट्रेट को पौधे ग्रहण कर लेते हैं. पीएसबी टीका भूमि में मौजूद फॉस्फोरस को घुलनशील बनाता है. घुलनशील फॉस्फोरस को पौधे की जड़ें तेजी ग्रहण करती हैं. इस तरीके से बीज उपचार करने से बीज में थोड़ी फुलावट आ सकती है. इसलिए बुआई करते समय ध्यान रखें की कहीं बीज की फुलावट की वजह से मशीन खेत में कम न डाल दें.