इन्फोपत्रिका. mandusi ki dawa : मंडूसी या गुल्ली डंडा गेहूं का एक प्रमुख खरपतवार है. पिछले कुछ सालों में इसने बहुत अडियल रूख अपनाया है. बहुत से क्षेत्र ऐसे हैं जिनमें उगने के बाद इस पर खरपतवारनाशक दवाएं असर ही नहीं करती. हरियाणा तथा पंजाब के कुछ भागों में गेहूं में यह इतना अधिक उग जाता है कि किसानों को गेहूँ की हरी फसल को पशुओं के चारे के रूप में काटना पड़ा। इसलिए बुआई के समय ही इसका प्रबंधन करना अब बहुत जरूरी हो गया है.
मैक्सिको से आया है मंडूसी
मंडूसी का बीज भारत में उस समय पर आया जब हमने साठ के दशक में बड़े पैमाने पर मैक्सिको से बौनी किस्म की गेहूँ का बीज आयात किया। उस बीज में ही इस गुल्ली डंडा के बीज मिले थे. गेहूँ की ज्यादा पैदावार देने वाली बौनी किस्मों के साथ-साथ अधिक खाद व पानी के उपयोग के से खरपतवारों, विशेषत: मंडूसी, को भी बढ़ने का अनुकूल वातावरण मिला। समय के साथ मंडूसी ने खरपतवारनाशकों (mandusi ki dawa) के प्रति सहनशीलता पैदा कर ली.
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ऐसे करें मंडूसी की रोकथाम mandusi ki dawa
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना के कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि जिन क्षेत्रों में गुल्ली डंडा या मंडूसी उगने के बाद खरपतवारनाशक दवाइयों से खत्म नहीं होता वहां इसकी रोकथाम के उपाय बुआई के तुरंत बाद ही करने चाहिए. विश्वविद्यालय ने कुछ दवाओं की सिफारिश की है जिन्हें किसान बुआई के बाद गुल्ली डंडा की रोकथाम के लिए प्रयोग कर सकते हैं.
पैंडीमैथालिन 30 ई.सी. pendimethalin 30 EC
पैंडीमैथालिन 30 ई.सी. एक प्रभावी खरपतवार नियंत्रक दवाई है. इसका प्रयोग बहुत सी फसलों में खरपतवारों के उगने से रोकने के लिए किया जाता है. गेहूं में भी गुल्ली डंडे या मंडूसी को उगने से रोकने के लिए इसका प्रयोग करने की सिफारिश पंजाब कृषि विश्वविद्यालय करता है. एक एकड़ के लिए डेढ़ लीटर दवाई की जरूरत होती है. 200 लीटर पानी में मिलाकर गेहूं बुआई करने के तुरंत बाद खेत में इसका छिड़काव करना चाहिए. ध्यान रहे कि बुआई के दो दिन तक ही इसका छिड़काव किया जा सकता है. इसके बाद नहीं. दूसरी बात यह है कि खेत में पर्याप्त नमी होना जरूरी है. अगर खेत में नमी कम है तो यह दवा असर नहीं करेगी.
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पैंडीमैथालीन बीएएसएफ कंपनी (BASF) स्टाम्प (Stamp) नाम से बाजार में बेचती है. इसी तरह यूपीएल कंपनी (UPL) दोस्त सुपर (Dost super) नाम से इसे बाजार में बेचती है. अन्य कंपनियों का पैंडीमैथालीन (Mandusi ki dawa) भी बाजार में उपलब्ध है. किसान किसी अच्छी कंपनी का उत्पाद उपयोग कर सकते हैं.
पाइरोक्सासल्फोन 85% Pyroxasulfone 85% WG
गुल्ली डंडा को उगने से रोकने में पाइरोक्सासल्फोन 85 डब्ल्यूजी भी बहुत प्रभावी है. बुआई करने के 2 दिनों तक इसका छिड़काव करना होता है. पाइरोक्सासल्फोन 85% एक एकड़ में 60 ग्राम पड़ता है. इसे भी 200 लीटर पानी में मिलाकर गेहूं बुआई के बाद छिड़काव किया जाता है.
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बायर क्रॉप साइंस कंपनी (Bayar cropscience) इसे मोमीजी (Momiji) नाम से बाजार में बेचती है. पीआई इंडस्ट्रिज (PI industrise) इसे अवकीरा (AVKIRA) ब्रांड नाम से बेच रही है. अन्य कंपनियों का भी पाइरोक्सासल्फोन 85% बनाती हैं. किसान किसी भी अच्छी कंपनी का उत्पाद प्रयोग कर सकते हैं. पाइरोक्सासल्फोन 85% जिस खेत में प्रयोग करें उसमें गेहूं बुआई के 21 दिन बाद पानी जरूर लगाएं.
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नोट : किसी भी खरपतवारनाशक का प्रयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञ की सलाह लेना लाभदायक होता है. इसलिए यहां बताई गई दवाओं का उपयोग करने से पहले किसान भाई अनुभवी कृषि विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य कर लें.