इन्फोपत्रिका. gehun ki buvai : कोई भी फसल भरपूर उत्पादन तभी देती है जब उसकी सही समय पर आदर्श तरीके से बुआई की जाए. अगर बुआई सही तरीके से नहीं की जाएगी तो फसल उत्पादन में गिरावट आएगी ही. गेहूं पर भी यही बात लागू होती है. अच्छा बीज और सही मात्रा में खादों का प्रयोग भी उत्पादन नहीं बढ़ा पाएगा अगर हमारा गेहूं बुआई का तरीका गलत है.
गेहूं बुआई (gehun ki buvai) में बुआई का समय, खेत में नमी और गेहूं बीज की गहराई बहुत मायने रखती है. पछेती बुआई, कम नमी और बीज को ज्यादा गहरा बो देने से उत्पादन में गिरावट आती है. आपको जानकर हैरानी होगी की ज्यादा गहरी बुआई से गेहूं उत्पादन 39 फीसदी तक गिर जाता है. आज हम आपको बताएंगे की गेहूं बीज को कितनी गहराई में बोना चाहिए और ज्यादा गहराई में बोने से क्या नुकसान होता है.
क्या कहते हैं शोध
दुनिया भर में फसलों पर होने वाले शोध फिल्ड्स क्रॉप जर्नल में प्रकाशित होते हैं. यह बहुत प्रतिष्ठित जर्नल है. फिल्ड्स क्रॉप जर्नल के वाल्यूम 9 में गेहूं बीज की गहराई के संबंध में एक शोध प्रकाशित हुआ है. इस शोध के अनुसार गेहूं बुआई (gehun ki buvai) की आदर्श गहराई 2 ईंच (5 सेंटीमीटर) है. 2 ईंच गहराई पर बोए गए (wheat sowing depth) बीज से अधिकतम पैदावार होती है. शोध में 5 सें 20 सेंटीमीटर पर बोई गई गेहूं पर शोध किया गया था. 7 सेंटीमीटर से ज्यादा गहराई पर बोई गई गेहूं में उत्पादन 39 फीसदी कम पाया गया और उगाव 5 सेंटीमीटर पर बोई गई गेहूं के मुकाबले 71 फीसदी तक कम मिला.
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तुर्की भी दुनिया में एक प्रमुख गेहूं उत्पादक देश है. यहां वर्ष 2004 से 2006 तक 3 सें.मी., 5 सें.मी., 7 सें.मी. और 9 सेंटीमीटर गहराई पर बोई गई गेहूं पर शोध किया गया. शोध के नतीजे चौंकाने वाले थे. 5 सेंटीमीटर (2 ईंच) पर बोई गई गेहूं ने अधिकतम उत्पादन दिया. 3 सेंटीमीटर (डेढ़ ईंच) पर बोई गई गेहूं की उत्पादन औसत उत्पादन से 19 फीसदी कम रहा. 7 सेंटीमीटर पर बोई गेहूं का उत्पादन औसत उत्पादन से 22 प्रतिशत कम पाया गया और 9 सेंटीमीटर पर बोई गई गेहूं की उपज औसत उत्पादन से 62 फीसदी कम मिली.
ज्यादा गहराई से क्यों होता है कम उत्पादन
न्यूजीलैंड की लिंकाइन यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ प्लांट साइंस ने भी गेहूं बुआई में गहराई के महत्व पर शोध किया है. यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया कि 5 सेंटीमीटर (2 ईंच) पर बोई गई गेहूं सर्वाधिक उत्पादन देती है. इससे ज्यादा गहराई में बोने से बीज तक सही वायु संचरण नहीं हो पाता. परिणामस्वरूप बीज अंकुरण कम होता है. बीज अंकुरण से फूटा तना बीज में ही संचित ऊर्जा का उपयोग बाहर निकलने के लिए करता है. ज्यादा गहराई होने से जमीन से बाहर आने में उसे ज्यादा वक्त लगता है. इससे बीज में संचित ऊर्जा ज्यादा खर्च होती है और कई बार जमीन से पत्ते के बाहर निकलने से पहले ही यह समाप्त हो जाती है. इससे पौधा मर जाता है. जब तक जड़ें जमीन में नहीं जाती तब तक पौधा बीज में संचित ऊर्जा से ही पोषण लेता है.
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ज्यादा गहराई होने से कई बार बीज से निकला पहला पत्ता मिट्टी के भार को चीर नहीं पाता और बाहर नहीं आता. अगर पहला पत्ता बाहर आता भी है तो वह कमजोर होता है. इससे पौधे में फुटाव कम होता है और पौधे का कद भी प्रभावित होता है. ज्यादा गहरी बुआई से उगाव लेट होता है. 2 ईंच गहराई पर बोई गई गेहूं 4 ईंच गहराई पर बोई गेहूं से से करीब 7 दिन पहले उग जाती है.
सही गहराई पर करें बुआई gehun ki buvai ki ghrai
किसानों को गेहूं की बुआई (gehun ki buvai) करते वक्त गहराई का बहुत ध्यान रखना चाहिए. गेहूं बुआई करते वक्त खेत में पर्याप्त नमी होनी चाहिए. अच्छी नमी वाले खेत में 5 सें.मी. (2 ईंच) गहराई पर बुआई करनी चाहिए. किसानों को किसी भी हाल में 6 सेंटीमीटर से गहरी बुआई नहीं करनी चाहिए. अगर नमी कम है तो बीज की मात्रा को बढ़ा लेना चाहिए. नमी की कमी होने पर गहरी बुआई करने से बचना चाहिए और खेत में पानी लगाकर ही बुआई करनी चाहिए.
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