इन्फोपत्रिका. Mustard sowing technique : अच्छी पैदावार लेने के लिए बढिया बीजों के साथ ही बिजाई की तकनीक भी उन्नत और आधुनिक होनी चाहिए. सरसों की फसल पर भी यह बात लागू होती है. हमारे देश में सरसों की परंपरागत तरीके से ही बुआई (Mustard sowing technic) होती है. लेकिन अब कुछ किसान सरसों बुआई में भी प्रयोग करने लगे हैं. ऐसा ही एक प्रयोग है बेड (मेड) पर बुआई. ICAR का भरतपुर स्थित सरसों अनुसंधान निदेशालय ने भी अपने शोध में माना है कि उठे हुए बेड (Furrow irrigated raised bed (FIRB) system) पर अगर सरसों की बुआई की जाए तो सरसों उत्पादन 10 फीसदी तक बढ जाता है. बहुत से किसान भी अब इस तकनीक को अपनाने लगे हैं.
इस विधि से (Mustard sowing technic) 12 क्विंटल पैदावार
हरियाणा के जींद जिले के रिटोली गांव के किसान डॉ. कुलदीप लोहान प्रगतिशील किसान हैं. वो फिलॉसफी में डॉक्टरेट हैं. डॉ. कुलदीप ने पिछले बार इस विधि से 4 एकड़ में इस विधि से (Mustard sowing technic) सरसों बोई थी. कुलदीप ने www.infopatrika.in को बताया कि दो एकड़ में उनके पैदावार लगभग 12 क्विंटल प्रति एकड़ हुई. दो एकड़ में नील गायों ने नुकसान कर दिया. इस वजह से सरसों का वजन 25 मण यानि 10 क्विंटल प्रति एकड़ हुआ.
डॉ. कुलदीप ने बुआई जींद जिले की सफीदो तहसील के गाव खेड़ा खेमावती गांव के सुनील कश्यप से करवाई थी. सुनील के पास बेड पर सरसों बुआई की मशीन है. ये अपने आसपास 50-60 किलोमीटर के एरिया में किराए पर बेड पर सरसों की बुआई कर देते हैं.बुआई करवाने के लिए किसान सुनील से मोबाइल नंबर 8053728760 पर संपर्क कर सकते हैं. कुलदीप ने बताया कि बेड या मेड पर सरसों बोने से भरपूर पैदावार ली जा सकती है. अगर मौसम साथ दे तो पैदावार प्रति एकड़ 13 क्विंटल तक हो सकती है. इस विधि में बीज और पानी की खपत कम होती है. बीमारी भी बहुत कम आती है. कुलदीप इस बार भी 4 एकड़ में सरसों बेड पर इस विधि (Mustard sowing technic) ही बोएंगे.
फतेहाबाद में भी हुआ इस विधि का प्रयोग
हरियाणा के फतेहाबाद जिले के गांव खजूरी जाटी के किसान राजेश कुमार ने पिछली बार आधा एकड़ में इस विधि बेड पर बुआई की. राजेश कुमार ने www.infopatrika.in को बताया कि पिछली बार नये होने की वजह से वे अच्छे से ये बिजाई नहीं कर पाए थे. उनका उगाव कम हुआ था. इनके आधा एकड़ में 5 क्विंटल सरसों का उत्पादन हुआ. राजेश का मानना है कि अगर उगाव अच्छा हुआ होता तो आधा एकड में 6 क्विंटल सरसों आराम से हो जाती.
राजेश इस बार भी 2 एकड़ में इस विधि से सरसों की बुआई करेंगे. राजेश ने गाजर बोने वाली मशीन में कुछ बदलाव करके सरसों बोई थी. गाजर बुआई मशीन में बेड पर तीन लाइन में बिजाई होती है. सरसों की केवल एक लाइन बीच में ही बुआई होती है. बेड की ऊंचाई आधा फीट से लेकर 1 फीट तक किसान अपनी जमीन की पानी सोखने की क्षमता और अपने पास उपलब्ध पानी के अनुसार रख सकते हैं. इस तरह बुआई करने पर सरसों की लाइन से लाइन की दूरी 28 इंच रह जाती है.
आधा लगा बीज, पानी की भी बचत
डॉ. कुलदीप ने बताया कि उन्होंने खेत को बिना पानी लगाए तैयार किया था. इसके बाद सुनील कश्यप की मशीन से बुआई कराई. बीज 500 ग्राम प्रति एकड़ डाला. कुलदीप ने 15 अक्टूबर को बुआई की. बुआई के बाद नालियों में पानी दिया गया. पानी देते समय ध्यान रखने की बात ये है कि अच्छी नमी पूरे बेड पर आ जानी चाहिए. अगर नमी हलकी होगी तो वह जल्दी सूख जाएगी. उगाव नहीं होगा. बेड पर पानी नहीं फिरना चाहिए. अच्छी नमी होने पर 4-5 दिन में सरसों उग जाती है.
खाद और पानी
रटौली के डॉ. कुलदीप ने बताया कि उन्होंने बेड बनाने से पहले खेत में 3 बैग सुपर सिंगल फॉस्फेट डाला था. एक पानी लगाने से सरसों उग आई थी. एक पानी उन्होंने तब दिया जब सरसों 6 साल इंच की हो गई थी. उसी वक्त प्रति एकड़ 25 किलो यूरिया डाला था. इसके बाद सरसों के फूल आने पर ही पानी लगाया था. जब पौधे पर फलियां बनने लगी तब एपीके, जिंक और अन्य माइक्रो न्यूट्रेंट का छिड़काव सरसों पर किया था. कुलदीप के खेत में बीमारी नहीं आई थी.