इन्फोपत्रिका. Pashu Chara : यदि कोई आपसे कहे कि पशुओं के लिए सूखे चारे में यूरिया मिलाएं तो आप कहेंगे कि क्या बकवास है. लेकिन यकीन कीजिए, ऐसा करने से सूखे चारे में प्रोटीन की संख्या कई गुणा बढ़ जाएगी. राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान करनाल (NDRI, Karnal) ने सूखे चारे को पावरफुल बनाने के लिए खास फॉर्मूला तैयार किया है.
इस तकनीक में यूरिया से सूखे चारे (Pashu Chara) को उपचारित किया जाता है. इससे सूखे चारे में प्रोटीन की मात्रा 4 फीसदी से बढकर 9 फीसदी तक हो जाती है. इस उपचारित चारे को खिलाने से पशुपालक को हरा चारा न होने की दशा में पशु को अतिरिक्त खल दाना इत्यादि देने की आवश्यकता नहीं होती. इससे दाना व खल आदि पर होने वाले खर्च में 25 फीसदी तक बचत हो सकती है.
पशुओं में प्रोटीन का मुख्य स्रोत हरा चारा, चोकर, दाना और खली या खल है. हरा चारा पूरे साल उपलब्ध नहीं होता. जिन दिनों हरा चारा (Pashu Chara) उपलब्ध नहीं होता है तो पशुपालक उन दिनों सूखे चारे यानि भूसे, तुड़ी या पुवाल पर ही आश्रित रहते हैं. भूसा या पुवाल में प्रोटीन की मात्रा बहुत कम लगभग 4 फीसदी ही होती है. पशु कम दूध देने लगते हैं और कमजोर हो जाते हैं. हरा चारा न होने पर पशुपालक को दाने और खल पर ज्यादा खर्च करना पड़ता है.
कैसे करें यूरिया पशु चारा उपचारित – Kaise Kare Urea Pashu Chara Upcharit
- 100 किलो सूखा चारा यानि गेहूं की तूड़ी या किसी अन्य अनाज का भूसा लें और उसे पक्की जगह पर फैला लें.
- 4 किलो आम यूरिया (fertilizer grade urea) लें.
- 4 किलो यूरिया को 20-30 लीटर पानी में अच्छी तरह घोल लें.
- यूरिया के इस घोल को स्प्रे पंप में डालकर फैलाए गए भूसे पर छिड़कें.
- अब भूसे को हाथ से चार-पांच बार अच्छे से मिलाएं ताकि यूरिया मिश्रित पानी एक समान रूप से भूसे पर लग जाए.
- अब इस भूसे को प्लास्टिक सीट से अच्छी तरह से ढक दें. ध्यान रहे की यह इस तरह से ढका रहे कि इसमें से गैस बाहर न निकले
- तीन सप्ताह तक इसे ऐसे ही ढका रहे दें.
- बारिश आदि से इसे बचाकर रखने के प्रबंध करें.
- बच्चों को उपचारित किए जा रहे भूसे से दूर रखें.
3 सप्ताह बाद प्लास्टिक हटाकर भूसे में फिर दो तीन काट मारें ताकि इसमें मौजूद अमोनिया गैस निकल जाए कैमिकल रिएक्शन से भूसे का रंग पीले से गहरा भूरा हो जाएगा. अब उपचारित भूसा पशुओं को खिलाने के लिए तैयार है.
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किसे खिलाएं पशु चारा – Kaise Khilaye Pashu Chara
उपचारित भूसे को किसी भी जुगाली करने वाले पशु को दिया जा सकता है जो छह महीने या इससे अधिक उम्र का हो. भूसे के रंग में परिवर्तन कैमिकल रिएक्शन की वजह से होता है और इससे भूसे की गुणवत्ता पर कोई असर नहीं पडता. यूरिया उपचारित सूखे चारे (Pashu Chara) को हम सभी पशुओं को खिला सकते हैं. दुधारू पशुओं को अगर हम इस भूसे को हरे चारे के साथ-साथ देते हैं तो इससे पशुओं पर बहुत सकारात्मक असर पडता है. इसे बढते हुए बच्चों और दुधारू और दूध न दे रही गाय, भैस बकरी और भेड़ को दे सकते हैं.
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उपचारित भूसा नरम और ज्यादा लचीला होता है. इस कारण इसे पशु चाव से और ज्यादा खाते हैं. अच्छे परिणाम पाने के लिए उपचारित भूसे को खिलाते वक्त इसमें पर्याप्त मात्रा में नमक और खनिज मिश्रण जरूर मिलाना चाहिए. इसके साथ पशु को यदि आप विटामिन भी देते हैं तो और फायदा है. विटामिन बाजार में मिलने वाले उत्पादों या फिर पशु को दो-तीन किलो हरा चारा प्रतिदिन खिलाकर दिए जा सकते हैं. जब हम पशु को हरा चारे या दाने के माध्यम से प्रोटीन देते हैं तो प्रोटीन का कुछ भाग तो पशु के शरीर को सीधे प्राप्त हो जाता है. कुछ भाग पशु जुगाली करके प्राप्त करते हैं. जुगाली प्रक्रिया में सुक्ष्म जीवाणुओं द्वारा चारे से प्रोटीन का विघटन होता है. नाइट्रोजन से अमोनिया गैस बनती है तथा उसी से फिर प्रोटीन की प्राप्ति होती है. इस सम्पूर्ण प्रक्रिया में हम जो प्रोटीन की मात्रा देतें है, उसका एक अच्छे खासे भाग का ह्रास हो जाता है.
7 किलो खल जितनी नाइट्रोजन मिलती है 1 किलो यूरिया से
7 से 9 किलोग्राम खल से जितनी नाइट्रोजन पशु को मिलती है उतनी नाइट्रोजन एक किलोग्राम यूरिया पशु को प्रदान कर देती है. इसलिए अगर हम यूरिया उपचारित सूखा चारा पशु को डालते है तो पशु को पर्याप्त मात्रा में नाइट्रोजन अमोनिया बनाने के लिए मिल जाती है. यही अमोनिया जुगाली प्रक्रिया से खाने से प्रोटीन पैदा कर लेती है. यूरिया से भूसे को उपचारित करते हैं तो यूरिया अमोनिया में तबदील होती है. फिर अमोनिया फाइबर के साथ क्रिया करके पूरी प्रक्रिया को पूर्ण करती है. क्षार का स्रोत होने के कारण यह लिग्नाइटबोंड्स के विघटन में सहायता करता है. इससे ऊर्जा प्रदान करने वाले तत्वों को हजम करने की ताकत पशु में बढती है. यह सूखे चारे में प्रोटीन की मात्रा को दो से तीन गुना कर देता है.
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तीन गुना प्रोटीन बढाकर करें 25 फीसदी दाना खर्च कम
यूरिया से उपचारित भूसा पशुओं में यूरिया विषाक्तता पैदा नहीं करता. अगर कोई पशुपालक यूरिया उपचारित सूखे चारे का प्रयोग पशुओं के आधारिय भोजन के रूप में करता है तो दाने, खल, चूरी आदि के खर्च को 25 फीसदी तक कम कर सकता है. इससे पशु की उत्पादकता पर भी कोई फर्क नहीं पड़ता. यहां ध्यान रखने वाली बात यह है कि पशु को जितना आम दाना और खल इत्यादि हम देते हैं वो देना ही होगा. फर्क ये है कि हरा चारा न होने पर पशुपालक दाने और खल आदि की जो मात्रा बढा देते हैं, वह मात्रा बढाने की आवश्यकता उन्हें उपचारित सूखा चारा देने पर बढानी नहीं होगी.
नोट : यह जानकारी एनडीआरआई और कृषि और पशुपालन के क्षेत्र में काम कर रही संस्थाओं द्वारा बनाई पाठ्य सामग्री से ली गई है. हमारी सलाह है कि पोस्ट में दी गई जानकारी का दैनिक उपयोग करने से पहले अनुभवी पशु चिकित्सक या विशेषज्ञ से परामर्श जरूर कर लें.