सरसों बुआई (Mustard sowing) का समय शुरू हो चुका है. साथ ही अब कई जगह से डीएपी खाद की कमी की खबरें आनी भी शुरू हो गई है. डीएपी के लिए लाइन में लगे किसानों की तस्वीरें भी अब रोज समाचार पत्रों में छपनी शुरू हो गई है. लेकिन क्या आप जानते हैं की डीएपी का एक बेहतरीन विकल्प भी मौजूद है. कम पैसों में इससे ज्यादा उर्वरक मिलते हैं. जी हां, वो विकल्प है सिंगल सुपर फॉस्फेट (SSP).
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क्या है सिंगल सुपर फॉस्फेट में
सिंगल सुपर फॉस्फेट में 16 प्रतिशत फॉस्फोरस, 11 फीसदी सल्फर , कैल्शियम 19 प्रतिशत और जिंक 1 प्रतिशत होता है. सिंगल सुपर फॉस्फेट में नाइट्रोजन नहीं होती है. ये सारे तत्व फसलों के लिए बहुत आवश्यक है. खासकर सरसों की फसल के लिए. वहीं अगर हम डीएपी की बात करें तो डीएपी में 46 फीसदी फॉस्फोरस और 18 फीसदी नाइट्रोजन होता है. डीएपी में न तो सल्फर होता है. न कैल्शियम और न ही जिंक. इसलिए सरसों बुआई के वक्त (Mustard sowing) इसका प्रयोग करें और ज्यादा फसल पाएं.
पैसे की भी बचत
सिंगल सुपर फॉस्फेट का प्रयोग पैसे भी बचाता है. एक एकड़ सरसों या गेहूं के लिए हमें 3 बैग एसएसपी के चाहिए. क्योंकि एसएसपी में नाइट्रोजन भी नहीं होता है इसलिए प्रति एकड़ एक बैग यूरिया का भी प्रयोग करना होता है. 3 बैग 900 रुपए में आएंगे और यूरिया का खर्चा लगभग 270 रुपए का है. इस तरह प्रति एकड़ खर्च 1170 रुपए होगा. वहीं डीएपी का एक बैग 1200 रुपए में आएगा.
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एसएसपी में होते हैं ये तत्व
3 बैग एसएसपी से आपको भरपूर सल्फर मिल जाएगी. इसलिए अगर आप एसएसपी का प्रयोग करेंगे तो आपको सरसों अतिरिक्त सल्फर डालने की आवश्यकता नहीं होगी. इससे करीब 600 रुपए किसान के बचेंगे. इसी तरह एसएसपी में कैल्शियम भी भी 19 प्रतिशत होता है. इसलिए किसान को कैल्शियम भी बाद में अलग से डालने की आवश्यकता नहीं होगी. करीब 500 रुपए की यह बचत भी होगी. एसएसपी को सरसों बुआई (Mustard sowing) के वक्त ही डालें.
क्या काम करती है सल्फर और कैल्शियम
सल्फर : सरसों सहित सभी तिलहनी फसलों में तेल की मात्रा बढाने के लिए सल्फर का प्रयोग बहुत जरूरी है. सल्फर सरसों में करीब डेढ प्रतिशत तक तेल की मात्रा बढा देता है. यह दाने को चमकदार बनाता है जिससे रेट अच्छा मिलता है.
कैल्शियम : यह पौधे में कोशिका भित्ति निर्माण में सहायक है. कैल्शियम फलियों की संख्या बढाता है और दाने भरने में मदद करता है.