इन्फोपत्रिका. manganese deficiency symptoms in wheat : गेहूं के पत्ते कई कारणों से पीले होते हैं. अत्यधिक ठंडा मौसम और ज्यादा पानी लगाने से भी गेहूं में पीलापन आता है. वहीं किसी विशेष पोषक तत्व की कमी से भी पत्ते पीले होने शुरू हो जाते हैं. आमतौर पर किसान फसल में पीलेपन का कारण नाइट्रोजन यानि यूरिया की कमी आना ही मानता है. किसानों की ये धारणा ठीक नहीं है. बहुत से अन्य पोषक तत्वों की कमी भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकती है.
ऐसा ही एक पोषक तत्व है मैंगनीज. गेहूं की फसल में इसकी कमी (manganese deficiency symptoms in wheat) से भी पीलापन आ सकता है. मैंगनीज एक अहम पोषक तत्व है. यह पौधे में हरापन रखने वाले द्रव्य क्लोरोफिल की एंजाइम क्रियाओं को सक्रिय रखने में अहम स्थान रखता है. इसके अलावा प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया को प्रभावी बनाने में सहायक है. मैंगनीज की कमी होने पर पौधा जमीन से फॉस्फोरस और कैल्शियम ग्रहण करना भी कम कर देता है. मैंगनीज फसल को तनाव सहने की क्षमता भी प्रदान करता है. अत्यधिक ठंड या फिर पानी की कमी से होने वाला नुकसान को मैंगनीज कम करता है.
मैंगनीज की कमी के लक्षण manganese deficiency symptoms in wheat
मैंगनीज के लक्षण गेहूं के बीच के पत्तों पर पहले दिखाई देते हैं. बीच वाले पत्तों पर हल्के पीले या स्लेटी गुलाबी या भूरे धब्बे बनते हैं. ये धब्बे पत्ते के तने वाली साइड में ज्यादा होते हैं. धीरे-धीरे ये धब्बे बड़े होकर आपस में मिल जाते हैं. खास बात यह है कि मैंगनीज की कमी वाले पौधे के पत्तों की नसें हरी रहती हैं, बाकी पत्ता धब्बो के आपस में मिलने पर पीला हो जाता है. अत्यधिक कमी होने पर पत्ता पीला होकर बीच से झुकना शुरू हो जाता है. मैंगनीज की कमी से शाखाएं कम निकलती हैं.
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क्यों होती है कमी
मैंगनीज की कमी (manganese deficiency symptoms in wheat) हलकी और रेतीली जमीन में तथा उन खेतों में ज्यादा होती है जहां गेहूं-चावल की फसल ली जाती है. चावल लगाने के लिए पानी में जब कद्दू (गारा बनाना) किया जाता है तो जमीन में एक कड़ी परत बन जाती है. लगातार पानी खड़ा रहने से भी जमीन सख्त हो जाती है. यही सख्त परत जमीन में मौजूद मैंगनीज को पौधे तक आने नहीं देती. खास बात यह है कि अगर गेहूं बिना जुताई किए जीरो ड्रिल या हैप्पी सीडर से बोई जाए तो मैंगनीज की कमी नहीं आती. इसका कारण ये है कि जुताई करने पर जमीन में ऑक्सीजन का प्रवाह ज्यादा होता है. ज्यादा ऑक्सीजन मैंगनीज को मैंगनीज ऑक्साइड में प्रवर्तित कर देती है. मैंगनीज के इस रूप को पौधा ग्रहण नहीं करता है.
कैसे करें कमी दूर
जमीन की सख्त परता को तोड़ने के लिए गहरी जुताई करनी चाहिए. इसके लिए प्ला़ऊ या सबसोलर हल का प्रयोग करें. गेहूं में पानी हलका लगाएं. मैंगनीज के लक्षण दिखाई देने पर खरपतवारनाशक दवा का प्रयोग न करें. घास वाली दवा के छिड़काव से गेहूं को ज्यादा नुकसान होता है अगर मैंगनीज की उसमें कमी हो. मैंगनीज की कमी को हम पौधों पर छिड़काव करके ही पूरा कर सकते हैं. मैंगनीज को जमीन में नहीं डाला जाता.
अगर किसी खेत में हर साल मैंगनीज की कमी के लक्षण दिखाई देते हैं तो गेहूं में पहला पानी लगाने से 2-3 दिन पहले 1 किलोग्राम 0.5 प्रतिशत मैंगनीज सल्फेट को 200 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करें. पानी लगाने के बाद दो स्प्रे और करें. अगर पहली बार मैंगनीज की कमी खेत में दिखाई दी है तो 1 किलोग्राम 0.5 प्रतिशत मैंगनीज सल्फेट को 200 लीटर पानी में घोलकर कम से कम 3 स्प्रे सिंचाई के बाद करनी होगी. छिड़काव 7 से 10 दिन के अंतराल पर करें. मैंगनीज के साथ और कुछ न मिलाएं.