इंफोपत्रिका. Neck Blast : बासमती किसानों की कमर इस बार गर्दन तोड़ ने तोड़ दी है. बासमती डीपी 1401 और पीबी 1 मुच्छल में बहुत नुकसार गर्दन तोड़ बीमारी ने किया है. कुछ खेतों में तो इस बीमारी ने 60 फीसदी तक फसल खराब कर दी है. दवाओं का असर हो नहीं रहा है. विशेषज्ञ खराब मौसम और तापमान में हो रहे उतार-चढाव को गर्दन तोड़ ज्यादा आने की वजह मान रहे हैं. इससे पहले इंफोपत्रिका ने इस बीमारी के बारे में बताया था, आप उसे यहां पढ़ सकते हैं – गर्दन तोड़ ने कैसे किसानों की गर्दन तोड़ी!
ये दवाएं हैं कारगर Effective fungicide to control Neck Blast
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ट्राईसाइक्लेजोल (tricyclazole) को गर्दन तोड़ Neck Blast पर सबसे प्रभावी माना जाता है. लेकिन पिछले कुछ सालों से यूरोपीय यूनियन और अन्य देशों ने इस दवा को लेकर अपने कानून कड़े कर लिए हैं. इस वजह से बाहरी देशों में बासमती का निर्यात प्रभावित हुआ है. सरकार भी किसानों को इस दवा का प्रयोग न करने की अपील कर रही है. लेकिन हकीकत ये है धान में गर्दन तोड़ बीमारी का प्रकोप होने के बाद ट्राईसाइक्लेजोल दवा ही बेहतर नियंत्रण करती है. अब भी ट्राईसाइक्लेजोल गर्दन तोड़ को काफी हद तक रोक रही है. जिन किसानों ने ट्राईसाइक्लेजोल के साथ मेन्कोजेब मिलाकर प्रयोग किया है उन्हें प्रभाव और तुरंत नियंत्रण गर्दन तोड़ का मिला है.
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आइसोप्रोथिओलेन (Isoprothiolane)
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गर्दन तोड़ (Neck Blast) के प्रभावित नियंत्रण में आइसोप्रोथिओलेन (Isoprothiolane 40% EC) एक प्रभावी फंफूदीनाशक है. यह एक सिस्टेमिक कवकनाशक है. एक एकड़ के लिए 200 लीटर पानी में 400 ग्राम दवा का प्रयोग करना चाहिए. आइसोप्रोथिओलेन के साथ मेन्कोजेब 400 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से भी मिलाई जा सकती है. Isoprothiolane 40% EC को टाटा रैलीज कंपनी फूजी वन (FUJIONE) के नाम से बेचती है. वहीं पारिजात इंडस्ट्रीज इसे फ्यूका (FUKA) नाम से बाजार में बेचती है. राइजो नाम से अतुल कंपनी भी इसे बेचती है। Corteva इस टेक्निकल को Blasbero नाम से बेचती है.
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कुछ किसानों ने आईसोप्रोथिओलेन के साथ ट्राईसाइक्लेजोल का मिलाकर भी छिड़काव किया. इन दोनों के छिड़काव का परिणाम भी काफी अच्छा रहा है. ट्राईसाइक्लेजोल की मात्रा 120 ग्राम प्रति एकड़ रखें और आईसोप्रोथिओलेन 400 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से डालें. किसान इस बात का ध्यान रखें की जरूरी होने पर ही ट्राईसाइक्लेजोल का प्रयोग करें. ट्राईसाइक्लेजोल की वजह से हमारे बासमती का निर्यात प्रभावित हो रहा है. इसलिए किसान कोशिश ये करें की इसकी जगह किसी ओर फंगीसाइड का प्रयोग करें. किसी भी दवा का छिड़काव करने से पहले किसानों को कृषि विशेषज्ञों से सलाह जरूर लेनी चाहिए. साथ ही अनावश्यक रूप से खेत में दवा का छिड़काव करने से बचना चाहिए.