नई दिल्ली. रूस-यूक्रेन युद्ध ने भारतीय गेहूं निर्यात के नए दरवाजे खोल दिए हैं. रूस और यूक्रेन से गेहूं की सप्लाई रुक जाने से कई देशों में इसकी भारी कमी हो गई है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय गेहूं की मांग अचानक बढ़ गई है. कई देश भारत से गेहूं आयात करने के लिए बातचीत कर रहे हैं.
ऐसे देश भी भारत से गेहूं की आयात करने के लिए बातचीत कर रहे हैं, जिन्होंने कभी भी भारत से गेहूं नहीं खरीदा है. खास बात यह है कि भारत के पास भारत के पास फिलहाल 12 मिलियन टन निर्यात लायक गेहूं (Indian Wheat Export) का स्टॉक है. जानकारों का कहना है कि घरेलू बाजार में गेहूं के दामों में आगे तेजी आएगी.
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इन देशों के साथ चल रही है बातचीत
गेहूं निर्यात को लेकर भारत की गेहूं के सबसे बड़े आयातक देश मिस्र (Egypt) के साथ बातचीत अंतिम राउंड में हैं. जल्द ही मिस्र द्वारा भारत से गेहूं खरीदने की घोषणा हो सकती है. यही नहीं चीन, तुर्की, बोसनिया, सूडान, नाइजीरिया और ईरान भी भारत से गेहूं लेने के इच्छुक देशों की कतार में खड़े हैं. बिजनेस वेबसाइट लाइव मिंट डॉट कॉम के अनुसार पिछले दस महीनों में ही भारत के गेहूं निर्यात में चार गुणा बढोतरी हुई है. रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद बदली हुई वैश्विक परिस्थितियों में भारत को अफ्रीका और मिडल ईस्ट रीजन में भी निर्यात गेहूं निर्यात के मौके मिलेंगे.
सप्लाई कम होने और गेहूं की कीमतें बढ़ने के साथ ही बहुत से देश पहली बार भारत से गेहूं का आयात करेंगे. पिछले पांच फसली सीजन से भारत में रिकॉर्ड गेहूं उत्पादन हो रहा है. इस कारण भारत के पास गेहूं का पर्याप्त अतिरिक्त भंडार है जिसका वह निर्यात कर सकता है. इस बार का गेहूं कटाई सीजन भी अब शुरू हो गया है. इस बार भी रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान लगाया जा रहा है.
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मिलेंगे अच्छे दाम
इस बार कटाई सीजन शुरू होते ही गेहूं के दाम (Gehun ka bhav) सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊंचे चल रहे हैं. अब सभी के मन में यह सवाल है कि गेहूं के दाम और कब बढ़ेंगे (Gehun ka bhav)? इसका जवाब यह है की, गेहूं निर्यात की हो रही भारी पूछ-परख के चलते आगे गेहूं के रेट में और तेजी आने की संभावना है. जानकारों का कहना है कि इस बार गेहूं खरीद सीजन खत्म होने के बाद भावों में जोरदार तेजी आएगी. इसलिए इस बार जो किसान या व्यापारी गेहूं को रोकेंगे, उन्हें काफी फायदा होगा.