इन्फोपत्रिका. फसल को रोगों से बचाने के दो तरीके हैं. एक, बीमारी आते ही तुरंत कोई दवा डालकर उसे नियंत्रित किया जाए. दूसरा, कुछ ऐसे उपाय किए जाएं की बीमारी फसल में आए ही नहीं. बहुत सी ऐसी बीमारियां हैं जिनको फसल में लगने से केवल पहले ही रोका जा सकता है. ऐसी ही बीमारी है तना गलन (stem rot of mustard).
कुछ बीमारियां बीजजनित होती हैं. यानि की वो संक्रमित बीज से ही फसल में आती हैं. कुछ रोग मिट्टीजनित हैं. यानि की रोग के कारक खेत की मिट्टी में ही मौजूद होते हैं. बीजजनित और मिट्टीजनित बीमारियों को रोकने के उपाय बिजाई से पहले ही करने होते हैं. सरसों की फसल में बीजजनित और मिट्टीजनित बीमारियां आती हैं.
सरसों का तना गलन रोग (Stem Rot of Mustard)
ऐसी ही एक बीमारी है सरसों का तना गलन (Stem rot of Mustard). किसान इसे सामान्य भाषा में उखेडा भी कहते हैं. यह रोग आने पर पौधे सूख जाते हैं. आमतौर पर जमीन से थोडा ऊपर सरसों के तने पर काले या भूरे रंग का धब्बा पड़ जाता है. धीरे-धीरे ये बढता है और पौधे को सुखा देता है. कई बार तना गलन शाखाओं पर शुरू होता है. शाखा पर धब्बा पड़ता है और फिर शाखा कुछ दिन में सूख जाती है.
ऐसे आने ही न दें तना गलन (Management of Stem Rot in Mustard)
![](https://infopatrika.in/wp-content/uploads/2021/10/sarson-tips-1024x576.jpeg)
सरसों का तना गलन रोग (Stem rot of Mustard) संक्रमित बीजों, संक्रमित मिट्टी और फसल के अवशेषों से आता है. इस रोग के विषाणु खेत में 8 साल तक जिंदा रह सकते हैं. सरसों में तना गलन रोग आए ही न इसकी रोकथाम के कुछ उपाय हैं ..
- सरसों बुआई से पहले गहरी जुताई करें. ऐसा करने से मिट्टी या फसल अवशेषों में मौजूद विषाणु नीचे दब जाएंगे.
- खेत में अगर कोई फसल अवशेष हैं तो उन्हें बाहर निकाल दें.
- फसल चक्र अपनाएं. सरसों की बुआई गेहूं, मक्का, प्याज आदि फसलों वाले खेत में करें. इन फसलों पर तना गलन की फफूंद असर नहीं करती.
- ज्यादा अगेती बुआई न करें. अक्टूबर के तीसरे सप्ताह में बुआई शुरू करें.
- सघन बुआई न करें. कतार से कतार की दूरी 45 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर रखें.
बीज उपचार (Mustard seed treatment)
![](https://infopatrika.in/wp-content/uploads/2021/10/jai-kumar-1024x576.jpeg)
तना गलन रोग को रोकने के लिए सरसों के बीज का उपचार करना अत्यंत आवश्यक है. बीज उपचार से संक्रमित बीज में मौजूद फंफूदी समाप्त हो जाती है. हरियाणा कृषि विभाग में कृषि विकास अधिकारी के पद कार्यरत डाक्टर जय कुमार का कहना है कि सरसों में तना गलन (stem rot of mustard) की रोकथाम के लिए बीज उपचार हेतू कार्बेनडाजेम (carbendazim) दवा का प्रयोग करना चाहिए. 1 किलोग्राम सरसों के बीज के लिए 3 ग्राम कार्बेनडाजेम काफी है.
कार्बेनडाजेम कई कंपनियों का आता है. UPL कंपनी इसे SAAF नाम से बेचती है. बावेस्टिन ब्रांड नाम से इसे क्रिस्टल क्रॉप प्रोटेक्शन कंपनी बेचती है. जेयू एग्री साईंसेज (JU agri sciences) इसे कार्बेनडाजेम नाम से बेचती है. इस दवा से सूखा उपचार किया जाता है. दवा को बीज पर फैलाकर हाथ से अच्छे से मसल दें. ध्यान रहे कि कोई भी दाना दवा के संपर्क में आने से बच न जाए.