इन्फोपत्रिका. लंपी स्किन डिजीज (Lampi Skin Disease) एक वायरस जनित बीमारी है. वायरस जनित बीमारियों का कोई विशिष्ठ इलाज (Lampi ka ilaaj) नहीं होता है. इन बीमारियों को आने से रोकने के उपाय ही किए जा सकते हैं. लंपी स्किन डिजीज की भी अभी कोई दवा नहीं बनी है. टीकाकरण ही इसे रोकने का एकमात्र उपाय है. लेकिन अफसोस की बात है कि भारत में अभी तक वह भी उपलब्ध नहीं है. लंपी के बारे में अगर विस्तार से जानना है तो ये खबर जरूर देख लें – अफ्रीकी वायरस लंपी
हर पशु पर अलग तरह से असर
सबसे पहले आपको पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए. डॉक्टर तो इलाज करेगा ही, साथ ही आपको भी इलाज की प्रक्रिया पर पूरी नजर रखनी चाहिए. लंपी स्किन डिजीज वायरस के कारण होता है. जैसे कोरोना को ठीक करने की कोई दवाई नहीं है, उसी प्रकार लंपी स्किन डिजीज की भी कोई दवा अभी उपलब्ध नहीं है. लंपी स्किन डिजीज का वायरस भी कोराना वायरस की तरह हर एक पर अलग तरह से प्रभाव डालता है. यह पशु की त्वचा, जोड़ों, फेफड़े, लीवर सहित बहुत से अंगों पर असर करता है.
लंपी स्किन डिजीज भी कोरोना की तरह पशु के इम्यून सिस्टम पर असर करता है. जिस पशु का इम्यून सिस्टम मजबूत होता है वह लंपी स्किन डिजीज को सह लेता है और सहायक उपचार देने पर जल्दी ठीक हो जाता है. जिसका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है उस पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है. ठीक ढंग से उपचार न करने पर वह मर भी सकता है.
लक्षण के अनुसार उपचार (Lampi ka ilaaj)
ध्यान रखने वाली बात यह है कि लंपी स्किन डिजीज (LSD) का उपचार पशु में दिख रहे लक्षण के अनुसार ही करना होगा. ऐसी कोई एक दवा नहीं है जो LSD से पीड़ित हर पशु को लगाई जा सकती हो. पशु के शरीर पर गांठे बनी होती हैं और त्वचा पर जलन और शरीर में दर्द होता है. इसलिए दर्द निवारक दवाएं तो देनी ही हैं, साथ ही ऐसी दवाएं भी देनी होंगी जो जलन को रोकती हैं. पशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए हर पशु को मल्टी विटामिन देना होगा और वायरस का असर खत्म करने के लिए एंटीबायोटिक दवा लगानी होगी. इनके अलावा अन्य दवाएं पशु के लक्षण देखकर ही लगेगी.
यदि पशु को तेज बुखार हो तो (Lampi me bukhar ho to..)
अगर पशु को तेज बुखार आ रहा है तो हमें बुखार का इलाज करना होगा. इसके लिए वो ही दवाएं इस्तेमाल होगी जो सामान्य बुखार ठीक करने में दी जाती है. इसी तरह हो सकता है कि कोई पशु कम खाना खा रहा हो तो हमें उसके पाचन क्रिया को ठीक करने के लिए दवा लगानी होगी. जरूरी नहीं है कि लंपी स्किन डिजीज (LSD) से पीड़ित हर पशु ही खाना कम खाए. इसी तरह अगर कुछ पशुओं के नाक और मुंह से पानी आना शुरू हो जाता है. ऐसे पशु का इलाज इस लक्षण को देखकर ही करना चाहिए.
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अगर निमोनिया के लक्षण दिखें तो
लंपी कुछ पशुओं के फेफड़ों पर असर कर जाता है. नमोनिया के लक्षण पशु दिखाना शुरू कर देता है. अगर नमोनिया कन्फर्म हो जाए तो अन्य दवाओं के साथ नमोनिया का इलाज करें. कुछ पशुओं के जोड़ सख्त हो जाते हैं. पशु लंगड़ा चलना शुरू हो जाता है. अगर कोई पशु लंगड़ाता है तो जोड़ों के फ्लूड को खोलने के लिए उपलब्ध दवाओं का प्रयोग करना चाहिए. पर ध्यान रखने वाली बात है कि दर्द निवारक, जलन रोकने वाली, मल्टी विटामिन और सामान्य एंटीबायोटिक को छोड़कर अन्य दवा जो आपके पड़ोसी के LSD पीड़ित पशु के लगी हो वो ही दवाएं आपके पशु को भी लगेगी. क्योंकि हो सकता है कि आपके पशु के लीवर पर असर हो और आपके पड़ोसी के पशु के फेफड़े पर LSD ने असर डाला हो. इसलिए लक्षण के अनुसार दवा बदल जाएगी.
हल्के में तो बिल्कुल भी न लें
पशुपालकों को इस बीमारी को हल्के में नहीं लेना चाहिए. जिस पशु में यह बीमारी आ जाए, उसे तुरंत अन्य पशुओं से अलग कर देना चाहिए. उस पशु को खुले में चरने और जोहड़ में पानी पिलाने न ले जाएं. प्रशिक्षित पशु चिकित्सक से इलाज कराएं. इस बीमारी से मृत्यु दर पांच फीसदी है. लेकिन अगर सही इलाज न हो तो हो सकता है कि आपका पशु मरे तो नहीं लेकिन वह नकारा हो सकता है. इससे पशु में बांझपन आ जाता है. गाय गाभिन नहीं होती और सांड की बच्चा पैदा करने की क्षमता समाप्त हो जाती है.