चंडीगढ़. 9 अक्टूबर शनिवार मतलब कल महाराजा अग्रसेन जयंती के मौके पर हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर के कैथल में पहुंचने की संभावना है. कृषि बिलों के विरोध में बैठे किसानों ने भी अपनी रणनीति बनाई है. रणनीति के तहत मनोहर लाल खट्टर का विरोध किया जाएगा और उन्हें काले झंडे दिखाए जा सकते हैं. यहां तक तो बात ठीक है मगर कल एसडीएम और किसानों के बीच में हुई बैठक में जो वार्ता हुई वह चिंता का विषय है.
किसानों संग हुई SMD की बैठक
इस वार्ता से समझ में आता है कि विरोध करने वाले किसानों पर गोलियां तक बरसाई जा सकती हैं. जैसा कि हम देख रहे हैं फिलहाल किसानों के खिलाफ सरकार ने एक अभियान सा छेड़ दिया है. लखीमपुर में आपने देखा कैसे 4 किसानों को कुचल कर मार डाला गया. इसके अलावा कल एक घटना नारायणगढ़ में भी हुई है जहां खनन मंत्री मूलचंद शर्मा और क्षेत्र से भाजपा के सांसद नायब सैनी के काफिले की गाड़ी की चपेट में आकर एक किसान घायल हो गया. इस बारे में किसानों ने पुलिस को शिकायत दी है, हां जी लेकिन भाजपा के सांसद का कहना है कि ऐसा कुछ हुआ ही नहीं, बल्कि कुछ लोग जो किसानों का चोला पहने हुए थे उन्होंने काफिले के पीछे भागने की कोशिश की.
गोली चलानी पड़ी तो…
7 अक्टूबर को कैथल के एसडीएम डॉ संजय कुमार समेत कुछ और अधिकारियों ने किसानों के साथ थाना टोल पर एक बैठक की. एसडीएम ने किसानों से अपील के साथ-साथ ‘धमकी’ तक दे डाली. हालांकि यह धमकी ‘धमकी’ की तरह नहीं थी, एक भावनात्मक धमकी थी. उन्होंने जो कहा वह आज के अखबार दैनिक भास्कर में प्रकाशित हुआ है. इसी अखबार में जो लिखा है यहां पर जो का त्योहार रहे हैं-
“एसडीएम ने कहा कि शांति से ही विरोध जताना. मैं किसी एक को भी नहीं खोना चाहता. मैं जानता हूं कि अपनों को खोने का दर्द क्या होता है. यह कहते हुए एसडीएम की आंखों में आंसू आ गए. कहा कि आप वह अपने बच्चों के लिए जाएंगे और मैं अपने बच्चों के लिए. फायरिंग की नौबत आई तो गोली घुटनों के नीचे ही चलेगी. इस पर किसानों ने कहा कि साहब, पैरों में ही क्यों, हमें छाती पर गोली मारना. बस पीठ पर गोली मत चलाना. आपकी आंखों में पानी है, हमारी आंखों में लहू है.”
विश्लेषण (ये अखबार में न्यूज़ का पार्ट नहीं है)
इस वार्ता का अगर विश्लेषण किया जाए तो यही समझ में आता है कि एसडीएम को यदि हालात थोड़े बिगड़ते देखेंगे तो वह गोली चलाने से हिचकेंगे नहीं. और कोई भी एसडीएम वार्ता के दौरान गोली की बात नहीं कर सकता. समझा जा सकता है कि ऊपर से आदेश आए होंगे तभी एसडीएम इस तरह की बात कह रहे हैं. तो उधर किसानों ने भी कहा है कि वह पैरों में नहीं छाती पर गोली खाने को तैयार हैं. उन्होंने अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं कि विरोध तो चलता ही रहेगा. लेकिन यह सरकार ऐसी है जो ना तो विरोध जाती है और ना ही विरोधी. विरोध करने वालों को कुचल दिया जाता है.
तो किसानों से इन्फो पत्रिका की तरफ से अपील है कि आप संयम बनाए रखें और कोई भी हिंसा ना करें. यदि हो सके तो आपको एक कैमरामैन अपने साथ रखना चाहिए जो इस पूरे घटनाक्रम की वीडियोग्राफी कर सके. ताकि सरकार के समर्थन में खड़े लोग यदि किसानों पर हमला करें, जैसा कि लखीमपुर खीरी में हुआ, तो कम से कम उसे दिखाने के लिए आपके पास पुख्ता सबूत हों, रिकॉर्डिंग हो.